right-arrow
जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत

क्या उपवास से मिलती है भगवान जगन्नाथ की कृपा? जानिए रथ यात्रा व्रत के नियम, फल और भक्ति से जुड़ी इस परंपरा का गहरा आध्यात्मिक महत्व।

जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत के बारे में

पुरी की रथ यात्रा में रथों की भव्यता के साथ-साथ व्रत का भी विशेष महत्व है। यह उपवास भक्तों के समर्पण, संयम और सेवा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान जगन्नाथ की विशेष कृपा मिलती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत आत्मशुद्धि, पुण्य और मुक्ति का साधन भी माना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत: क्यों रखा जाता है यह उपवास?

हर साल जब पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकलती है, तो केवल झांकियों और रथों की शोभा ही नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं का उपवास भी इस दिन विशेष महत्व रखता है। यह व्रत केवल किसी नियम या परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा भगवान को समर्पण, संयम और सेवा का प्रतीक होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान जगन्नाथ विशेष कृपा बरसाते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। कई भक्त इसे आत्मशुद्धि, पुण्य अर्जन और सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाने का माध्यम मानते हैं। यही वजह है कि यह व्रत भक्ति, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जा का एक अनमोल संगम बन चुका है।

रथ यात्रा उपवास की तिथि और समय (2025)

भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा वर्ष 2025 में 27 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह उत्सव आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ता है और उसी दिन व्रत रखा जाता है।

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ 26 जून को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से
  • 27 जून की सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक द्वितीया तिथि रहेगी।

व्रत एवं रथ यात्रा की मुख्य तिथि: 27 जून 2025, शुक्रवार

इस दिन भक्तगण उपवास रखकर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भाग लेते हैं और उनकी विशेष कृपा की कामना करते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत कैसे करें?

रथ यात्रा व्रत भगवान जगन्नाथ की कृपा पाने के लिए किया जाने वाला एक पवित्र और अनुशासित उपवास होता है। इसे विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से जीवन में सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

1. मन और शरीर की तैयारी

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से शुद्ध करें।

2. पूजा स्थल की सजावट

  • पीले या लाल कपड़े से चौकी को ढकें और उस पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

3. पूजा विधि

  • पूजा की शुरुआत शंख और घंटी की ध्वनि के साथ करें।
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से भगवान का अभिषेक करें।
  • इसके बाद वस्त्र, चंदन, अक्षत, फूल, धूप-दीप और तुलसी पत्र अर्पित करें।

4. भोग अर्पण

  • भगवान को घर पर बनाए गए व्यंजन जैसे खिचड़ी, फल, गुड़, मिठाई या खीर अर्पित करें। छप्पन भोग की भावना से विविधता रख सकते हैं।

5. मंत्र, भजन और आरती

  • “ॐ नमो भगवते जगन्नाथाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • भजन-कीर्तन करें और घी का दीपक जलाकर आरती करें।

6. प्रसाद वितरण और समापन

  • भगवान को अर्पित भोग को प्रसाद रूप में परिवार और आसपास के लोगों में वितरित करें। अंत में भगवान से प्रार्थना करें कि यह व्रत स्वीकार हो।

7. व्रत के नियम

  • तामसिक भोजन (मांस, मद्य, प्याज-लहसुन) से परहेज़ करें।
  • फलाहार, निर्जल या केवल एक समय का भोजन कर सकते हैं, श्रद्धा और स्वास्थ्य के अनुसार।

रथ यात्रा व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?

रथ यात्रा व्रत के दौरान शुद्ध, सात्विक और सरल भोजन ग्रहण करना चाहिए। यह उपवास केवल भूखा रहने का नहीं, बल्कि मन, वचन और शरीर को संयम में रखने का प्रतीक होता है।

क्या खाएं

  • फल (सेब, अनार, पपीता, मौसमी फल)
  • दूध, दही और उससे बने हल्के पदार्थ
  • साबूदाना, राजगिरा, मूंग की खिचड़ी या सिंघाड़े का आटा
  • गुड़, सूखा मेवा, नारियल

क्या न खाएं

  • मांसाहारी भोजन, अंडा
  • प्याज और लहसुन
  • शराब या किसी भी प्रकार का नशा
  • अधिक तला-भुना या मसालेदार भोजन
  • गुरुवार को विशेष रूप से केला न खाने की परंपरा भी मानी जाती है
  • इस दिन का भोजन जितना सात्विक और हल्का होगा, व्रत उतना ही प्रभावशाली माना जाता है।

रथ यात्रा व्रत करने के फायदे

रथ यात्रा व्रत धार्मिक आस्था के साथ-साथ जीवन के कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसे करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। नीचे इस व्रत से जुड़े प्रमुख लाभ पॉइंट्स के रूप में दिए गए हैं:

  • भगवान जगन्नाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं कम होती हैं।
  • सात्विक आहार और संयमित दिनचर्या से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है।
  • मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे तनाव और बेचैनी कम होती है।
  • व्रत में भक्ति, कीर्तन और मंत्रजप से आत्मिक बल और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • परिवार और समाज में सामूहिक पूजा से आपसी प्रेम और सामाजिक जुड़ाव मजबूत होता है।
  • यह व्रत आत्म-संयम, अनुशासन और संयमित जीवनशैली को बढ़ावा देता है, जो अन्य क्षेत्रों में भी लाभदायक होता है।

निष्कर्ष

जगन्नाथ रथ यात्रा व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और आध्यात्मिक जागृति का अवसर है। सही विधि और श्रद्धा से किया गया यह व्रत जीवन में शांति, संतुलन और शुभ फल लाता है।

divider
Published by Sri Mandir·June 25, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook